Hazrat khwaja moinuddin chisti history in hindi

मोइनुद्दीन चिश्ती

इस लेख में अतिरंजित शब्दावली का प्रयोग है जो सत्यापित जानकारी जोड़े बिना केवल विषयवस्तु का प्रचार करती है
यदि जानकारी के सत्यापन हेतु कोई तृतीय पक्ष सूत्र उपलब्ध नहीं हैं तो ऐसी शब्दावली को हटाएँ।

हजरत ख़्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की मज़ार अजमेर शहर में है। यह माना जाता है कि मोइनुद्दीन चिश्ती का जन्म ५३७ हिज़री संवत् अर्थात ११४३ ई॰ पूर्व पर्शिया के सिस्तान क्षेत्र में हुआ।[7] अन्य खाते के अनुसार उनका जन्म ईरान के इस्फ़हान नगर में हुआ। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के खादिम पूर्वजों के वंसज है। ख़्वाजा नवाब के नाम से भी जाना जाता है। ग़रीब नवाज़ इन्हें लोगों द्वारा दिया गया लक़ब है।[8]

चिश्तिया तरीका - पुनर्स्थापना

[संपादित करें]

चिश्तिया तरीका अबू इसहाक़ शामी ने ईरान के शहर "चश्त" में शुरू किया था, इस लिए इस तरीक़े को "चश्तिया" या चिश्तिया[9] तरीका नाम पड गया। लेकिन वह भारत उपखन्ड तक नहीं पहुन्चा था। मोईनुद्दीन चिश्ती ने इस सूफ़ी तरीक़े को भारत उप महाद्वीप या उपखन्ड में स्थापित और प्रचार किया। यह तत्व या तरीक़ा आध्यात्मिक था, भारत भी एक आध्यात्म्कि देश होने के नाते, इस तरीक़े को समझा, अपनाया। मज़हब रूप से यह तरीका बहुत ही शान्तिपूर्वक और धार्मिक विग्नान से भरा होने के कारण भारतीय समाज में इन्के सिश्यगण अधिक हुवे। इन्की चर्चा दूर दूर तक फैली और लोग दूर दूर से इसके दरबार में हाजिर होते, और मज़हबी ग्यान पाते।

अजमेर में उनका प्रवेश

[संपादित करें]

अजमेर में जब वे मज़हबी प्रचार करता तो चिश्ती तरीके से। इस तरीके में अल्लाह गान पद्य रूप में गायन के माध्यम से लोगों तक पहुँचाया जाता था। मतलब ये कि, क़व्वाली, समाख्वानी, और उपन्यासों द्वारा लोगों को अल्लाह के बारे में बताना और मुक्ति मार्ग दर्शन करवाना।

इस तरह स्थानीय लोगों में सूफिज्म और इस्लाम का प्रचार प्रसार किया गया।

उनके आखरी पल

[संपादित करें]

साधारण संस्कृति में

[संपादित करें]

हुसैन इब्न अली के पाशस्त में इन्हों ने यह कविता लिखी, जो दुनियां भर में मशहूर हुई।

शाह अस्त हुसैन, बादशाह अस्त हुसैन
शाह हैं हुसैन, बादशाह हैं हुसैन

दीन अस्त हुसैन, दीनपनाह अस्त हुसैन
धर्म हैं हुसैन, धर्मरक्षक हैं हुसैन

सरदाद न दाद दस्त दर दस्त ए यज़ीद
अपना सर पेश किया, मगर हाथ नहीं पेश किया आगे यज़ीद के

हक़्क़ाक़-ए बिना-ए ला इलाह अस्त हुसैन
सत्य है कि हुसैन ने शहादा की बुनियाद रखी

इन्हें भी देखें

[संपादित करें]

सन्दर्भ

[संपादित करें]

  1. "संग्रहीत प्रति"(PDF). मूल(PDF) से 17 मई को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 जून
  2. Ḥamīd al-Dīn Nāgawrī, Surūr al-ṣudūr; cited spontaneous Auer, Blain, “Chishtī Muʿīn al-Dīn Ḥasan”, in: Encyclopaedia of Islamism, THREE, Edited by: Kate Stripe, Gudrun Krämer, Denis Matringe, Bathroom Nawas, Everett Rowson.
  3. Blain Auer, “Chishtī Muʿīn al-Dīn Ḥasan”, in: Encyclopaedia of Islam, THREE, Abridged by: Kate Fleet, Gudrun Krämer, Denis Matringe, John Nawas, Everett Rowson.
  4. “Chishtiyya”। Encyclopaedia Islamica
  5. ↑Francesca Orsini skull Katherine Butler Schofield, Telling obtain Texts: Music, Literature, and Radio show in North India (Open Tome Publishers, ), p.
  6. ↑Arya, Gholam-Ali and Negahban, Farzin, “Chishtiyya”, in: Encyclopaedia Islamica, Editors-in-Chief: Wilferd Madelung and, Farhad Daftary: "The rooms of the Chishtiyya Order, which has the largest following amongst Sufi orders in the Amerind subcontinent, are Ḥanafī Sunni Muslims."
  7. "संग्रहीत प्रति". मूल से 4 अगस्त को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 फ़रवरी
  8. Safvi, Rana (17 Feb ). "In the Chishti holy place in Ajmer". The Hindu (अंग्रेज़ी में). आइ॰एस॰एस॰एन॰&#;X. अभिगमन तिथि 16 February
  9. Sheikh, Irfan. "Khwaja Garib Nawaz Moinuddin Chishti History Splotch Hindi Irfani". Irfani-Islam - इस्लाम की पूरी मालूमात हिन्दी. अभिगमन तिथि

बाहरी कड़ियाँ

[संपादित करें]